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Saturday 18 March 2017

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महत्वपूर्ण है महामृत्युंजय मन्त्र

देश-विदेश जाने या किसी प्राकर से वियोग होने पर, स्वदेश, राज्य व धन सम्पत्ति विनष्ट होने की स्थिति में, अकाल मृत्यु की शान्ति एंव अपने उपर किसी तरह की मिथ्या दोषारोपण लगने पर, उद्विग्न चित्त एंव धार्मिक कार्यो से मन विचलित होने पर महामृत्युंजय मन्त्र का जप स्त्रोत पाठ, भगवान शंकर की आराधना करें।
यदि स्वयं न कर सके तो किसी पंडित द्वारा कराना चाहिए। इससे सद्बुद्धि, मनःशान्ति, रोग मुक्ति एंव सवर्था सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

महामृत्युंजय के अनुष्ठान एंव लधु रूद्र, महारूद्र तथा सामान्य रूद्राअभिषेक प्रायः होते ही रहते है, लेकिन विशेष कामनाओं के लिए शिर्वाचन का अपना अलग विशेष महत्व होता है। महारूद्र सदाशिव को प्रसन्न करने व अपनी सर्वकामना सिद्धि के लिए यहां पर पार्थिव पूजा का विधान है, जिसमें मिटटी के शिर्वाचन पुत्र प्राप्ति के लिए, श्याली चावल के शिर्वाचन व अखण्ड दीपदान की तपस्या होती है। शत्रुनाश व व्याधिनाश हेतु नमक के शिर्वाचन, रोग नाश हेतु गाय के गोबर के शिर्वाचन, दस विधि लक्ष्मी प्राप्ति हेतु मक्खन के शिर्वाचन अन्य कई प्रकार के शिवलिंग बनाकर उनमें प्राण-प्रतिष्ठा कर विधि-विधान द्वारा विशेष पुराणोक्त व वेदोक्त विधि से पूज्य होती रहती है।
ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं।
आगे की खबर स्लाइडो में..
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विवाह मंत्र विधि और अर्थ

शादी या पाणिग्रहण हमारी संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र घटनाओं में से एक है. शादी का असली मतलब वेद में लिखा गया हैं . वेद के कर्मकाण्ड में विवाह के विभिन्न प्रकार, रस्मोंा-रिवाज का कैसे पालन करें, श्लोकों का पाठ कैसे करें और इन सभी का सही अर्थ क्या होता है ये लिखा गया हैं. आजकल के विवाह समारोहों में श्लोकों और मंत्रों को पंडित इन स्रोतों से पढ़ते हैं.

हिंदू विवाह मंत्र
हिंदू विवाह सूर्या के साथ सोमा की शादी पर आधारित है और ऋग्वेद में ऋषि सूर्या द्वारा सुनाया गया है. यह एक कल्पना की शादी हो सकती है या सिद्ध पुरुष की खुद की शादी हो सकती हैं.

हिंदू विवाह का महत्व
लगभग सभी साहित्यिक किताबों में जैसे की रामायण, महाभारत , पुराण, कालिदास आदि में ,देवी- देवताओं ,महान प्राणियों, राजा-रानी की शादी समारोहों का ज़िक्र बहुत सुंदर और विस्तार से लिखा गया हैं. यदि जीवन में पूजा -पाठ, वैदिक अनुष्ठानों और श्लोकों का सही रूप से पालन किया जाए तो हर विवाह सफल होगा और कभी भी पति- पत्नी का रिश्ता नहीं टूटेगा.

हिंदू विवाह मंत्रों का उपयोग
कोई भी हिंदू विवाह समारोह एक जैसा नहीं होता हैं. हर जगह और हर राज्य आदि में अलग-अलग तरह के विवाह होते है और उनके रीति -रिवाज़ भी अलग-अलग होते हैं. विवाह के अलग-अलग रूपों के पीछे अलग-अलग परंपराओं , स्थानीय परंपराओं, शादी करने वाले परिवारों के विचार के आधार पर किया जाता है. कुछ रीति- रिवाज़ एक जैसे होते है बस उन्हें करने का तरीका अलग होता हैं. भारतीय हिंदू शादी समारोह में कुछ रीति -रिवाज़ सभी करते है जो की इस तरह से हैं.
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बाधाओं का सामना होने पर विचलित मत होइ

  • बाधाओं का सामना होने पर विचलित मत होइए, जो लोग प्रयास करते हैं, उन्हें हीं बाधाओं का सामना करना पड़ता है. केवल इतना याद रखिए कि, बाधाएं तभी आपका रास्ता रोक सकती है; जब आप उन्हें पार करने से पहले हिम्मत हार जाएंगे.

    हिम्मत  → बाधा पार

  • अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो आत्मनिर्भर बनिए, Always Active रहिए,
    अपने लक्ष्य पर ध्यान रखिए, और बेकार के कामों में अपना समय कभी भी बर्बाद न करें.
  • याद रखिए सफल लोगों की कहानी पढ़ने से सफलता नहीं मिलती है, सफलता तो सही चीजें सही समय पर करने से मिलती है.
  • खुद को व्यस्त रखिए, लेकिन उन लोगों के लिए जरुर समय निकालिए, जो अप्रत्यक्ष रूप से आपकी सफलता में भागीदार हैं.
  • हमारे Competitor हमें कभी आलसी नहीं होने देते हैं.
  • सफलता का एक अहम सूत्र यह है कि अपनी योजना किसी को मत बताओ, जब तक कि सामनेवाला व्यक्ति आपके साथ काम न कर रहा हो.
  • जो लोग अपने काम से प्यार करते हैं, वे दूसरे लोगों से मीलों आगे निकल जाते हैं.
    इसलिए कोई ऐसा काम कीजिए जिसे करना आप पसंद करते हों.
  • जो लोग बैठकर केवल सोचते रहते हैं वे जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते हैं, क्योंकि सफल होने के लिए कोशिशें करनी पड़ती है.
  • आप अपनी सोच से बड़ी सफलता नहीं पा सकते हैं, इसलिए अपनी सोच बड़ी रखिये और बड़े सपने देखिये.
  • सफलता जल्दी मिल जाए या देर मिले यह महत्वपूर्ण नहीं होता है.
    बल्कि यह महत्वपूर्ण होता है, कि सफलता बरकरार रहती है या नहीं.
  • सफलता पाने के लिए यह जरूरी होता है, कि आप किसी के भरोसे न बैठे रहें.
  • मुश्किलों में तपकर हीं व्यक्ति बड़ी सफलता को सम्भालने के लायक बनता है.
  • कभी भी किसी गलत रास्ते से सफलता पाने की कोशिश मत करो.

  • बड़ी सफलता के लिए लम्बे समय तक परिश्रम करना पड़ता है.
  • एक पल में मिल जाने वाली सफलता, दूसरे हीं पल चली भी जाती है.
  • किसी और की सफलता से अपने सफलता की तुलना कभी मत कीजिए.
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गायत्री मंत्र का वर्णं

गायत्री मंत्र का वर्णं

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्

गायत्री मंत्र संक्षेप में

गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.
हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता
हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें

मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या

गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना.



गायत्री देवी, वह जो पंचमुख़ी है, हमारी पांच इंद्रियों और प्राणों की देवी मानी जाती है.
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पंचमुखी हनुमान मंत्र

मंत्र  – ॐ हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा
गुरुदेव से मंत्र दीक्षा लेकर रुद्राक्ष, मूंगे अथवा लाल चन्दन की माला से सवा लाख मंत्रो का जप करें। हनुमान जी बहुत ही उग्र एवं त्वरित फल देने वाले देवता हैं इसलिए इनकी साधना में विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें। भगवान शंकर , प्रभु राम एवं सीता जी का नित्य पूजन भी अवश्य करना चाहिए । यदि साधना काल में कभी भय लगे अथवा घबराहट हो तो तुरंत अपने गुरु का ध्यान करें एवं हनुमान जी को राम जी की सौगंध देकर प्रार्थना करें। उसके बाद जब तक आप सामान्य ना हो जाएँ तब तक भगवान राम एवं सीता जी का ही ध्यान करें।
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Monday 3 October 2016

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Gorakhnath Mantra

Guru Gorakh Nath Gayatri Mantra


!! .Om ली श्री हुन Fatt स्वाहा!
!! लीं श्रीं हुं फट स्वाहा!
!!। ओम hree श्री gon goraksh हुन Fatt स्वाहा!

 
!! ह्रीं श्रीं गों गोरक्ष हुं फट स्वाहा!
!! यहाँ .Om श्री goraksh हू हू हू niranjanatmne Fatt स्वाहा!
!! ह्रीं श्रीं गों गोरक्ष हुं हुं निरंजनात्मने हुं फट स्वाहा !!
!!। ओम श्री लिन हेमवती हान gorakshnathaya niranjanatmne हेमवती एस.एन. Fatt हंस gon!
!! श्रीं गों लीं हं हां गोरक्षनाथाय निरंजनात्मने हं सं फट हंस!
!! ओम लिन श्री govijaya vidhme gon !!
!! गोरखनाथ Dhimahi टैनो निरंजन prachodayat !!
गोरक्षनाथ गायत्री
!! लीं श्रीं गों गोवीजाय विद्महे गोरक्षनाथ धीमहि !!
!! तन्नो निरंजन प्रचोदयात् !!

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नवरात्रि विवाहित जीवन के लिए मंत्र

Navratri Marrige Mantra

 
शादी है, जो संघ केवल दो लोगों का नहीं है, शरीर का मतलब है, यह भी आत्माओं का मिलन है। आत्मा साथी उनकी आध्यात्मिक यात्रा एक साथ स्वाद और भगवान के आनंद का आनंद लें। भारत में जहां शादी बंधे परिणय सूत्र में सात जन्मों के लिए बंधे होने के रूप में माना जाता है एक बार अवसर के रूप में माना जाता है। भारत में शादी के महज एक संस्कार नहीं है, लेकिन पुण्यमय है। लेकिन यह जीवन की विडंबना है कि एक बार गलत निर्णय की तस है, शादी गलत साथी का या तो; यह रिश्ते के समग्र विनाश के रूप में अच्छी तरह के रूप में खुशी की ओर जाता है। संबंधों के छोटे मुद्दों को खुश और सफल जीवन को बर्बाद कर सकता है।
तो, अगर आप शादीशुदा जीवन के कुछ मुद्दों की वजह से पीड़ित हैं, और आप इसके बारे में बहुत चिंतित हैं, तो यहाँ आप के लिए एक सही समाधान है। अब navratran सप्ताह के पास है और दिन दूर नहीं कर रहे हैं, तो यह सही समय इन मूर्खतापूर्ण संघर्ष को भंग करने के रूप में।
ज्योतिषी निर्दिष्ट है कि, अगर दुर्गा पूजा navratran के दौरान आयोजित किया जाता है, तो इन संघर्षों को आसानी से हल किया जा सकता है और जीवन फिर से खुश और कभी के रूप में समृद्ध होगा। नौ दिनों, तुम सब के इस बिंदु से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यह शुक्रवार के दौरान पूजा का संचालन करने के लिए पसंद है।
पूजा करते हैं या navratran दौरान अनुष्ठान प्रदर्शन करने के लिए कैसे
सुबह जल्दी उठना और नहाने के बाद एक लाल कपड़े पर देवी जगदंबा की मूर्ति रखने के लिए।चावल के साथ दो स्वस्तिक पर हस्ताक्षर किया है और दूसरी तरफ एक और शिव-गौरी रुद्राक्ष पर भगवान गणेश की मूर्ति रखने के लिए।

 
उसके बाद निम्न मंत्र का जाप 108 बार:
"ओम नमः katyaynye"

 
इस पूजा के बाद, अपनी गर्दन के आसपास है कि रुद्राक्ष पहनते हैं।
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